डर के आगे जीत है!
जैसा उसका नाम था, वैसी ही वह थी। वह अपना कार्य बहुत मेहनत से सिद्ध करती थी।
आज कल के माता-पिता अपने बच्चों के नाम कितने प्यारे और आकर्षक रखते हैं। जैसे की आरव, ईशान, चैतन्य, अन्विता, प्रांजल। मेरे स्कूल में दोस्तों के नाम क्या होते थे, पता है? बाबू, बब्बन, ढेंगा, ढक्कन, केला, काजू, कुबड़ा और भुखड़। वो आखरी नाम मैं था।
शादीशुदा ज़िन्दगी कश्मीर जैसी होती है, दूर से खूबसूरत दिखती है, मगर अंदर आतंक ही आतंक! ये वार्तालाप शादी के उन्हीं खतरों की चेतावनी देता है!
Raghav plans for a surprise gift for Madhu to celebrate their 5th wedding anniversary and to reignite the spark in their relationship. Unfortunately, things do not turn out the way he expected.